Wednesday, June 9, 2010

10 साल में लगाए सिर्फ 764 पौधे- Environment Day Celebration at Fazilka

भास्कर न्यूज, 5th June 2010

स्वच्छ वातावरण के मामले में नगर परिषद कितनी गंभीर रहती है, इसका अंदाजा कौंसिल का पिछले दस साल का रिकार्ड खंगालने से आसानी से लगाया जा सकता है। इस एक दशक में कौंसिल के द्वारा मात्र 764 पौधे ही लगाए गए हैं और हैरानी वाला तथ्य यह सामने आया है कि इनमें से मात्र 24 पौधे ही कौंसिल के रिकार्ड के अनुसार सफल हो पाए हैं, यानि प्रति वर्ष ढाई पौधे भी नगर कौंसिल के हिस्से में नहीं आते हैं। यह तथ्य इंजीनियर नवदीप असीजा ने सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त मांगी गई जानकारी में उजागर हुआ है। 

पिछले एक दशक में दो बार भाजपा तथा एक बार कांग्रेस ने परिषद में सत्ता संभाली है। इस समय के दौरान करोड़ों रुपए के विकास काय हुए। अनुमान के अनुसार हर सड़क को कम से कम दो बार तो पक्का कर ही दिया गया, जबकि नगर को पत्थरों का शहर बनाने वालों को एक बार भी इसकी ग्रीनरी का ख्याल नहीं आया। प्रति—दिन बढ़ रहे ग्लोबलवार्मिंग के खतरे, गिर रहे जलस्तर एवं प्रकृति के प्रतिदिन बदलते रंग को लेकर दुनियाभर के साइंसदान चिंतित हैं और चेतावनी दे रहे हैं कि अगर इसी तरह पेड़ों को काटा गया और पानी की बर्बादी की गई तो धरती की तबाही का समय दूर नहीं है, लेकिन इन चेतावनियों की किसे परवाह है।

पॉलीथीन पर लगाई रोक बेअसर

कौंसिल ने पालीथीन पर बैन लगाकर ऐतिहासिक फैसला लिया, लेकिन लोगों के सहयोग के अभाव में यह भी फेल हो गया। करीब पांच माह बीत जाने पर भी नगर में धड़ल्ले से आज भी पालीथीन बिक रहा है।

कई वर्षों से पौधरोपण ठप

यहां अगर बात वन विभाग की करें तो पिछले कई वर्षों से विभाग ने पौधरोपण ही नहीं किया। इसके पीछे विभाग का एक ही तर्क होता है कि उनके पास फंड ही नहीं है।  विभाग की उदासनीता ही परिणाम है कि फाजिल्का क्षेत्र में एक प्रतिशत से भी कम वन क्षेत्र है, जबकि वर्तमान विधायक अपने पूर्व के कार्यकाल में खुद वनमंत्री रह चुके हैं। विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी भूमि पर वनसंपदा 33 प्रतिशत हेानी चाहिए, जबकि राज्य में यह 3 प्रतिशत से भी कम है। 

ऐसा नहीं है कि विभाग के पास पौधे नहीं है। विभाग की नर्सरियों में इस समय 1.75 लाख पौधे तैयार हैं, लेकिन विभाग के पास इन्हें रोपने के लिए कोई पैसा नहीं है। एकत्रित जानकारी के अनुसार वर्ष 2002 में जापान प्रोजैक्ट के बार डिपार्टमेंट को कोई बड़ा फंड मुहैया नहीं करवाया गया है। यह फंड 2005 के करीब समाप्त हो गया था। इसके बाद फंड के अभाव में जो पोधे लगाये थे वह भी जल गए।

रेंज अफसर को पता भी नहीं पर्यावरण दिवस है

सबसे दुखद पहलू तो यह है कि यहां वन अधिकारियों को पता भी नहीं कि शनिवार को पर्यावरण दिवस है। इस बारे में जब भास्कर ने इस बारे में रेंज आफिसर बलजीत सिंह से जब पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि आज क्या खास है। जब उन्हें पर्यावरण दिवस के बारे में बताया व पूछा कि इस पर आप क्या कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि फिलहाल कोई प्रोग्राम नहीं है, अगर आप कहते हैं तो कुछ बना लेते हैं। 

10 लाख होंगे खर्च

नगर कौंसिल अध्यक्ष अनिल सेठी ने कहा कि कौंसिल ने प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें नगर में पौधे लगाने तथा ट्री गार्ड खरीदने के लिए 10 लाख रुपए रखे गए हैं। इनती बड़ी राशि इससे पहले कभी भी पर्यावरण के लिए नहीं रखी गई।

इनसे जानें पानी की कीमत

अंकल! देखो टूटी खराब होने के कारण कितना पानी रोज नाली में बह रहा है, इसे अगर ठीक करवा दो तो कई हजार लीटर पानी बच सकता है, आप इसे ठीक क्यों नहीं करवा रहे? यह अपील दोस्त मॉडल स्कूल के बच्चों के एनवायरमेंट क्लब ने नगर के एक बड़े हिस्से में सर्वे कर व्यर्थ पानी बहाने वाली टूटियों का पता लगाकर लोगों से की है। उक्त अभियान में मात्र कक्षा चौथी और पांचवी के बच्चे हैं। बच्चे अब टूट चुकी वाटर सप्लाई की टूटियों को ठीक करवाने में भी मदद करेंगे। बच्चों ने नई आबादी, धींगड़ा कालोनी, पीर गौराया, टीचर कालोनी, बस्ती चंदोरां, जोरा सिंह मान नगर में सर्वे कर 63 ऐसे वाटर सप्लाई के कनेक्शनों की तलाश की है जो हर समय खुले रहते हैं व प्रति दिन इनमें से हजारों लीटर पानी व्यर्थ चल जाता है। खास बात है कि अब इन कनेक्शनों को यहां की समाजसेवी संस्था गेजूएट्स वेलफेयर एसोसिएशन अपनी जेब से ठीक करवाएंगी। एसोसिऐशन पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर अभियान की शुरूआत करेगी। अभियान 29 जून तक चलेगा। 

बचेगा 226800 लीटर पानी

एसोसिऐशन के प्रयास से मोहल्लों में बेकार जा रहा 226800 लीटर पानी बचेगा। सचिव नवदीप असीजा ने बताया कि प्रति व्यक्ति 50 लीटर पानी चाहिए। कौंसिल इससे अधिक पानी दे रही है। इसके बावजूद कई लोग पानी को तरस जाते हैं। इसका कारण खुली टूटियां हैं। यहां रोजाना 226800 लीटर पानी बेकार नालियों में बह जाता है। जबकि लोगों को पीने के लिए 25 हजार लीटर प्रति दिन पानी चाहिए। लेकिन बेकार हो रहे पानी के कारण मोहल्ले के अंत तक बसे लोगों तक पानी नहीं पहुंचता। संरक्षक डा. भूपिन्द्र सिंह ने बताया कि कई स्थानों तक लोगों के घरों में पीने का पानी नहीं पहुंच रहा। शहर में करीब 300 टूटीयां ऐसी हैं, जो लगातार आठ घंटे ही चलती रहती हैं। उन टूटीयों पर पानी बंद करने के लिए प्लग ही नहीं लगाया गया। इसके अलावा कई टूटीयों में लीकेज है, उनका पानी सीवरेज के दूषित पानी से मिल जाता है। जिससे पानी तो बेकार जाता ही है, साथ ही लीकेज से अन्य लोगों तक दूषित पानी पहुंचता है।

पानी बचाने को अब शुरू होगा 'जल नहीं तो हम नहीं प्रोजेक्ट

फाजिल्का& सोशल वेलफेयर सोसायटी अब लोगों को पानी बचाने के लिए शीघ्र ही 'जल नहीं तो हम नहींÓ नामक प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है। इस बारे में सोसायटी की आयोजित बैठक में सर्वसम्मति से पारित किया गया। अध्यक्ष राज किशोर कालड़ा ने कहा कि शहर में प्रतिदिन जाने-अनजाने में हजारों लीटर पानी बेकार हो जाता है। कालड़ा ने बताया कि लिये गए फैसले के अनुसार सोसायटी सदस्य प्रत्येक रविवार को प्रात: एक मोहल्ले की विभिन्न गलियों में लाउड स्पीकर रिक्शा के जरिए लोगों को पानी का महत्व बताते हुए जल का सही उपयोग करने के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा कि लोगों को पानी व्यर्थ न करने की अपील की जायेगी। सोसायटी द्वारा सरकारी स्थलों पर लगाई गई टूटियां जो खराब हो चुकी अथवा लीकेज करती है, को सोसायटी अपने स्तर पर ठीक करवाएगी। बैठक में महासचिव कंवल किशोर ग्रोवर, सुरैन लाल कटारिया, अमृत लाल करीर, कंवल चराया, शशिकांत, संजीव बांसल मार्शल, रतन लाल ग्रोवर, गिरधारी लाल मोंगा, डा. मनोहर लाल सुखीजा, प्रमोद जुनेजा, अशोक मनचंदा, बिहारी लाल डोडा, राकेश गिल्होत्रा, सुरेन्द्र सचदेवा एलआईसी, भगवान दास सहगल, राजेन्द्र अरोड़ा, चंद्रकांत, टोनी सेठी, गिरधारी लाल अग्रवाल व रविन्द्र लूना सहित अन्य सदस्य मौजूद रहे।

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