Friday, September 17, 2010

प्रदूषण के खतरे ने बनाया पर्यावरण प्रेमी

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

एक तरफ पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, वहीं पर्यावरण की चिंता करने वाले लोग भी हैं, उनका जुनून दूसरों के लिए प्रेरणा बन गया है। ऐसे ही एक शख्स हैं गांव साबूआना, फाजिल्का के प्रेम कुमार भदरेचा। उन्होंने एक साल के भीतर एक हजार पौधे गांव के नहरों, सरकारी स्कूलों व खेतों के किनारों पर लगाए हैं।

गौर हो कि भारत विकास परिषद से जुड़े प्रेम कुमार को दो साल पहले औद्योगिक इकाइयों वाले शहरों में जाना पड़ा। वहां धुएं व अन्य प्रकार के प्रदूषण और उससे बीमार पड़ रहे लोगों को देख उनके मन में पर्यावरण संरक्षण का भाव उत्पन्न हुआ। इसके बाद उन्होंने पौधे लगाने का सिलसिला शुरू किया। करीब डेढ़ सौ पौधे आठ से 10 फुट ऊंचे वृक्ष का रूप धारण कर चुके हैं। प्रेम कुमार अपने खेत व घर में ही नर्सरी बना कर पौधे तैयार कर रहे हैं। वे ज्यादातर नीम के पौधे तैयार करते हैं। इन पौधों को स्कूलों, खेतों व नहरों किनारे लगाने में जुटे रहते हैं। एक साल के भीतर वह एक हजार पौधे लगा चुके हैं। भारत विकास परिषद परिवार में वह पर्यावरण प्रेमी के नाम से प्रसिद्ध हो चुके हैं। 'दैनिक जागरण' के साथ बातचीत में प्रेम कुमार ने बताया कि पौधारोपण से उन्हें आंतरिक खुशी मिलती है।

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