Monday, March 28, 2011

शिक्षा की अलख जगा रहे बाल संस्कार केंद्र

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

एक तरफ जहां राज्य सरकार केंद्र सरकार के साथ मिलकर छह से 14 वर्ष के हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार प्रदान करने के लिए अरबों रुपये खर्च कर रही है, वहीं इस यज्ञ में देश की बड़ी शिक्षण संस्थाएं जो किसी न किसी संस्था द्वारा संचालित हैं, भी अपनी आहुति डाल रही हैं। ऐसी ही एक संस्था है सर्वहितकारी विद्या मंदिर। यह संस्था फाजिल्का में लाला सरनदास बूटाराम अग्रवाल सर्वहितकारी सीनियर सेकेंडरी विद्या मंदिर के जरिये शहर में पांच बाल संस्कार केंद्र चलाकर जहां गरीब परिवारों के बच्चों में शिक्षा की अलख जगाए हुए है, वहीं उनमें अच्छे संस्कार भी पैदा कर रही है।

उल्लेखनीय है कि सर्वहितकारी विद्या मंदिर की ओर से शहर की पांच गरीब बस्तियों में बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करने के लिए पांच बाल संस्कार केंद्र चलाए जा रहे हैं। उनमें 150 से अधिक बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अच्छे संस्कार भी दिए जा रहे हैं। इन बाल संस्कार केंद्रों में माधव नगरी स्थित गोलवरकर बाल संस्कार केंद्र, कांशी राम कालोनी स्थित गुरु अर्जुन देव बाल संस्कार केंद्र, गांव मोहम्मद पीरा स्थित शहीद ऊधम सिंह, मोहल्ला आनंदपुर स्थित गुरु गोबिंद सिंह व नई अनाज मंडी स्थित शहीद भगत सिंह बाल संस्कार केंद्र शामिल हैं। शिक्षा व संस्कार ही नहीं, इन केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए समय-समय पर मेडिकल जांच कैंप भी आयोजित किए जाते हैं।

विद्या मंदिर की प्रिंसिपल मधु शर्मा ने बताया कि आमतौर पर गरीब परिवारों के लोग सरकारी स्कूलों में सही ढंग से पढ़ाई न होने और निजी स्कूलों में भारी भरकम फीसों के कारण अपने बच्चों को स्कूलों में भेज ही नहीं पाते। उक्त इलाकों में सर्वहितकारी विद्या मंदिर द्वारा स्थापित केंद्रों का उद्देश्य यही है कि सरकारी व निजी स्कूलों के बीच पैदा हो चुकी दूरी कम हो सके और उसके चलते शिक्षा से वंचित रह रहे बच्चों को स्कूलों तक लाया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में भी अब शिक्षा का स्तर सुधरने लगा है, लेकिन लोगों में बच्चों को शिक्षित करने की भावना विकसित करने में बाल संस्कार केंद्र काफी मददगार साबित हो रहे हैं। वर्तमान में इन केंद्रों में शिक्षा ग्रहण कर रहे 150 बच्चों के अलावा पिछले सालों में एक हजार से अधिक बच्चों को शिक्षा प्राप्ति के लिए प्रेरित कर स्कूलों में भेजा जा चुका है। संस्था की इस बाल संस्कार केंद्र योजना का गरीब व मध्यमवर्गीय लोगों को पूरा लाभ मिल रहा है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_7498239.html

जन जागरण से खींची बड़ी लकीर-Water Conservation in Fazilka

जागरण संवाददाता, फाजिल्का

कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों। इस उक्ति को चरितार्थ किया है फाजिल्का के श्रीमती ज्वाला बाई नत्थू राम आहूजा चेरीटेबल ट्रस्ट ने। ट्रस्ट ने जल व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जन जागरण से बड़ी लकीर खींची है।

ट्रस्ट ने नाबार्ड व जमींदारा फार्मसाल्यूशंस के सहयोग से चार जिलों के करीब 63 गांवों के किसानों को गेहूं व धान की नाड़ न जलाने के लिए जागरूक किया। साथ ही सिंचाई के तरीकों में बदलाव कर लाखों लीटर पानी की भी बचत की। इस अभियान के तहत किसानों को दी जा रही ट्रेनिंग का समापन समारोह हुआ। इस दौरान पानी की बचत का तरीका दर्शाते करणीखेड़ा के एक प्लाट की प्रदर्शनी दिखाई गई। जल व पर्यावरण संभाल में सहयोग देने वाले किसानों को सम्मानित किया गया।

25 मार्च को गांव करणीखेड़ा में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर एमएस कंग थे। विशिष्ट अतिथि नाबार्ड के चीफ जनरल मैनेजर एससी कौशिक, जनरल मैनेजर डीसी शर्मा, भू विभाग पीएयू लुधियाना के डा. यादविंदर सिंह, सीसा प्रोजेक्ट के एचएस सिद्धू, डा. एचएस थिंद, आईआईटी दिल्ली के डा. बीके आहूजा शामिल हुए। कार्यक्रम में जमींदारा फार्मसाल्यूशंस के प्रबंध निदेशक व ट्रस्ट के पदाधिकारी सुरेंद्र आहूजा ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा नाबार्ड के सहयोग से जमींदारा फार्मसाल्यूशंस की तकनीकी सहायता से पिछले छह महीने में फिरोजपुर, मुक्तसर, पड़ोसी राज्य राजस्थान के करीब 63 गांवों के चार हजार किसानों को पराली न जलाने, पानी बचाने के लिए लेजर लैंड लेवलर के प्रयोग करने, डायरेक्टर सीडर से धान की बिजाई करने जैसे आधुनिक तरीकों से अवगत करवाया गया। मुख्य अतिथि डा. कंग सहित सभी मेहमानों ने ट्रस्ट की मुहिम को सराहा। मुख्य अतिथि डा. कंग और अन्य मेहमानों ने करणीखेड़ा में पर्यावरण व जल संरक्षण की दिशा में तैयार प्लाट का निरीक्षण किया। जमींदारा फार्मसाल्यूशंस के निदेशक विक्रम आहूजा ने बताया कि पर्यावरण व जल संरक्षण के प्रयोग के लिए पांच सौ एकड़ के रूप में करीब सौ प्लाट देने वाले किसानों को भी सम्मानित किया गया।

Sunday, March 27, 2011

Move to introduce eco-cabs in more districts

Move to introduce eco-cabs in more districts
Express News Service
Mar 26 2011,
Chandigarh

Having received a 'good' response from the public at large and from rickshaw pullers in Amritsar, Punjab Chief Secretary has written to all Deputy Commissioners (DC) of the state asking them to explore the possibility of introducing eco-rickshaw cabs in other districts as well. An affidavit to this effect was produced by Deputy Advocate General, Punab Sudeepti Sharma. Filed by Hussan Lal, IAS, Secretary Tourism and Cultural Affairs, Punjab.

The affidavit reads: "The Department of Tourism is in agreement with the report on Eco rickshaw cabs by Deputy Commissioner, Amritsar and DC, Ferozepur and suggested that it shall be in public interest if these eco rickshaw cabs are introduced in other districts as well. In view of the report from DC, Amritsar, the Chief Secretary, Punjab has written to all the other DCs for exploring the possibility of implementing this project in other districts as well."


High Court asks administration to consult NGO to introduce Eco Cabs in Chandigarh

Chandigarh, March 12 : Describing that location of night food streets can be more appropriate for the betterment of the general public, the Punjab and Haryana High Court today asked the UTAdministration as to why the location of night food street cannot be shifted to Sector 17, Chandigarh, than on the outskirts of the city, the present location. The suggestion was made during the resumed hearing of a public interest litigation (PIL) arising out of a suo motu cognizance taken by the High Court on the basis of a news item highlighting the deteriorating condition of night food streets. The Bench also asked the UT Administration to contact Graduates Welfare Association of Fazilka (GWAF) Secretary Navdeep Asija who had invented the concept of non-polluting cabs, in Fazilka, Punjab so that eco cabs can be introduced in the city beautiful. Senior standing counsel for UT Administration Mr. Sanjay Kaushal sought time to seek instructions in this regard. It was on the basis of a news item published by The Indian Express that the then Chief Justice Mr. Mukul Mudgal of the High Court had taken suo motu cognizance and issued notices to Chandigarh and States of Punjab and Haryana asking them to explain as to why eco-cabs shall not be introduced in the States.


Friday, March 25, 2011

सरहदी गांव के लिए जर्मनी से आई सहायता

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

कामेडियन भगवंत मान वीरवार को एक बार फिर फाजिल्का के सरहदी गांव दोना नानका व तेजा रूहेला पहुंचा। इस बार वह अपने साथ पीड़ित गांव वासियों के लिए आर्थिक सहायता लेकर पहुंचे। माने ने जर्मनी से आई 50 हजार की सहायता राशि ग्राम पंचायत के सुपुर्द की।

उल्लेखनीय है कि इस गांव के लोग सतलुज के दूषित पानी से बीमार हो रहे हैं। वीरवार को उपमंडल के गांव दोना नानका पहुंचे प्रसिद्ध कामेडियन भगवंत मान कहा कि जर्मनी से सिख फेडरेशन के प्रधान गुरमीत सिंह खनियाल ने यहां के लोगों की दास्तान सुन थी। उससे व्यथित होकर उन्होंने लोक लहर फाउंडेशन से संपर्क कर यहां के लोगों की मदद की पेशकश की थी। इसी के तहत उन्होंने 50 हजार रुपये भेजे। यह सहायता राशि गांव के सरपंच हरबंस सिंह, पंचायत सदस्य शेर सिंह व अन्यों को भेंट की गई। कामेडियन मान ने कहा कि इस सहायता राशि से गांव के स्कूल में करीब साढ़े चार सौ फुट गहराई वाला सबमर्सिबल पंप लगाया जाएगा, ताकि बच्चों को पीने के लिए शुद्ध पानी मिल सके।

इस मौके पर मान ने दैनिक जागरण को बताया कि यहां सारी बीमारियां सतलुज दरिया के दूषित पानी के कारण हैं। सरकार अरबों रुपये के प्रोजेक्ट लगाकर दरिया का पानी साफ करने के दावे कर रही है। जबकि होना ये चाहिए कि दरिया में दूषित पानी फेंकने वाली औद्योगिक इकाइयों को अपने ट्रीटमेंट प्लांट चलाने के लिए मजबूर करे। इसके अलावा भगवंत मान ने दुनिया भर में बैठे पंजाबियों से इन गांवों की सहायता के लिए आगे आने की अपील की है। इस मौके पर उनके साथ कामेडियन जगतार जग्गी, एडवोकेट जसपाल सिंह, स्कूल इंचार्ज लवजीत सिंह व स्टाफ मौजूद था।

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डीसी से करेंगे आरओ लगाने की मांग

भगवंत मान ने कहा कि वह अपने समाजसेवी संगठन लोक लहर फाउंडेशन की ओर से पत्र लिखकर डीसी से यहां पहल के आधार पर आरओ सिस्टम लगाने की मांग करेंगे। ताकि पानी से पैदा हो रही बीमारियों से लोगों का निजात मिले।

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दैनिक जागरण की भूमिका सराहनीय : मान

पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग द्वारा विधानसभा में सतलुज के दूषित पानी का मुद्दा उठने पर यहां लगाए गए कैंप में की गई खानापूर्ति के बारे में दैनिक जागरण में प्रकाशित समाचार की भगवंत मान ने सराहना की है। उन्होंने कहा कि दैनिक जागरण इलाके के पीड़ित लोगों की आवाज बुलंद कर सराहनीय कार्य कर रहा है।

हर तरफ वंशवाद की राजनीति हावी : भगवंत मान

जागरण संवाददाता, फाजिल्का

पंजाब व पंजाबियत ने मुझे बहुत कुछ दिया है। अब मेरी बारी है कि मैं कुछ अपने पंजाब को दूं। ये विचार पंजाब के नामवर कामेडियन और अब सक्रिय राजनीति में कदम रख चुके भगवंत मान ने प्रकट किए।

उपमंडल के गांव दोना नानका में रोगग्रस्त लोगों की सहायता के लिए आए मान ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि उन्होंने अपनी कामेडी के जरिए हमेशा भ्रष्टाचार, बिगड़ चुके राजनीतिक सिस्टम और पंजाब पुलिस पर कटाक्ष किया है। कामेडी को लोग हंसी में लेते हैं और गंभीरता से इस बुराइयों को समाप्त करने की बजाए राजनीति और व्याप्त भ्रष्टाचार को कोसते रहते हैं। वह लंबे समय से राजनीति में आकर इन बुराइयों के खिलाफ मोर्चा खोलने के बारे में सोच रहे थे, लेकिन उन्हें सकारात्मक विचारधारा वाली कोई पार्टी नहीं मिली। हर तरफ वंशवाद की राजनीति हावी है। राजनीतिज्ञ अरबों रुपये खर्च कर हवाई अड्डे बनाते हैं, लेकिन यह नहीं देखा जाता कि जिस नगर में हवाई अड्डा बनाया जा रहा है, वहां के कितने प्रतिशत लोग हवाई यात्रा करने में समर्थ हैं। कैंसर अस्पताल पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाता हैं, लेकिन कैंसर की जड़ दूषित पानी के बारे में कुछ नहीं किया जाता।

कामेडियन मान ने कहा कि वह किसी लाल बत्ती वाली गाड़ी प्राप्त करने के लिए राजनीति में नहीं आए। वह लोगों की आवाज बनकर काम करना चाहते हैं और उनकी मुश्किलें दूर करवाना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने पंजाबियों के कर्ज के खिलाफ आवाज उठाने वाले व सकारात्मक सोच वाले नेता का दामन थामा है। जब मान से चुनाव लड़ने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मनप्रीत के नेतृत्व में बनने वाली पार्टी हाईकमान आदेश देगी तो वह जरूर चुनाव लड़ेंगे।

गांव दोना नानका में भगवंत मान लगवाएंगे सबमर्सिबल

सतलुज दरिया के दूषित पानी का प्रकोप झेल रहे सरहदी गांव दोना नानका के बाशिंदों के लिए सरकार की ओर से तो कोई सुविधा नहीं दी गई, लेकिन वीरवार को हास्य कलाकार भगवंत मान की लोक लहर फाउंडेशन की ओर से गांव में सबमर्सिबल पंप लगाने के लिए 50 हजार रुपए की नकद राशि दी गई है। 

भगवंत मान ने बताया कि दूषित पानी का मुद्दा मीडिया में आया तो उन्होंने गांव में पहुंचकर हालात जाने। इसके बाद उन्होंने देश-विदेश की संस्थाओं को गांव की सहायता की अपील की। इसका पता चलते ही जर्मनी की सिख फाउंडेशन के अध्यक्ष गुरमीत सिंह की ओर से 50 हजार रुपए भेजा गया है। वहां गांव के सरपंच हरबंस सिंह, पंच शेर सिंह, पूर्व पंच गुरनाम सिंह, एडवोकेट जसपाल सिंह, जगतार जग्गी, गांव के स्कूल के मुख्याध्यापक लवजीत सिंह भी थे।

450 फुट गहरा होगा पंप

दरिया के दूषित पानी के कारण गांव की भूमि का जलस्तर दूषित हो चुका है। इस कारण वहां कम गहराई पर पंप नहीं लगाया जा सकता। ग्रामीणों की ओर से चैक करवाए गए सही पानी का लेवल करीब 450 फुट है। इस कारण गांव के स्कूल में 450 फुट की गहराई तक सबमर्सिबल पंप लगाया जाएगा। स्कूल में दो दिन बाद सबमर्सिबल लगाने का कार्य शुरू हो जाएगा। मान ने कहा कि अगर इस पर खर्च 50 हजार रुपए से अधिक आया तो ग्रामीण अपना योगदान देंगे। सरपंच हरबंस सिंह ने बताया कि पंप पर अधिक खर्च हुआ तो ग्रामीणों की ओर से बाकी खर्च किया जाएगा। लवजीत सिंह ने बताया कि अगर जरूरत पड़ी तो स्कूल अध्यापक भी अपना योगदान देंगे।

डब्लूएचओ को देंगे रिपोर्ट : दूषित पानी के कारण गांव दोना नानका और तेजा रोहेला के तकरीबन हर घर का व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से पीडि़त है, मगर सरकार ने इस बारे में अभी तक कुछ नहीं किया। अब भगवंत मान यह मुद्दा डब्लूएचओ के समक्ष रखेंगे। इस बारे में वह 31 मार्च को जा रहे हैं। मान ने 

बताया कि सरकार ने गांवों में आरओ लगाने का वादा किया था, लेकिन अभी तक गांव में कुछ नहीं किया गया। इस बारे में फाउंडेशन द्वारा फिरोजपुर के डीसी कमल किशोर यादव को मांग पत्र देकर सरहदी गांवों में आरओ सिस्टम लगाने की मांग की जाएगी।

सुखबीर बादल से मुकाबले के संकेत

फाजिल्का & अपनी कैसेटों के जरिए नेताओं और सरकारी अधिकारियों की पोल खोलने वाले भगवंत मान अब सियासत के सीरियस प्लेटफार्म पर आने वाले हैं। हाल ही में मनप्रीत सिंह बादल की पार्टी का सहयोग करने वाले भगवंत मान ने कहा कि अगर मनप्रीत बादल ने भी पंजाब के लोगों के साथ अन्याय किया तो वह उसका भंडाफोड़ करने से गुरेज नहीं करेंगे। गांव दोना नानका में पहुंचे भगवंत मान ने कहा कि वह विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन इस बारे में फैसला मनप्रीत बादल के हाथ है। उन्होंने संकेत दिया कि वह जलालाबाद से भी चुनाव लड़ सकते हैं। यहां गौरतलब है कि मौजूदा समय में पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल जलालाबाद विधानसभा से करीब 90 हजार वोटों से विजयी हो चुके हैं। अगर इस बार भी बादल जलालाबाद से चुनाव लड़ते हैं तो भगवंत मान उन्हें कड़ी टक्कर देने की क्षमता रखते हैं। यहां मान ने यह भी साफ किया कि लोक लहर फाउंडेशन का सियासत से कोई संबंध नहीं है।

Fishing in paddy fields

Sukhdeep Kaur
Indian Express, 25, March 2011

Private-public business model aims to make saline water in south-west Punjab useful for fish farming, biogas, dairy farms and more

T HE fast-depleting groundwater table in Punjab has already raised concerns of desertification. Now, scientists are warning of possible "reverse flow" -of brackish water toward good quality water -in some blocks. This, they say, can pollute areas, where watertable is fast declining, with saline water from bordering blocks.

"The direction of water flow in Punjab is from good quality in north-east to saline in south-west. While the direction is still the same, the fall in elevation of watertable ­ height from mean sea level -can change the flow of water at the border blocks. All six blocks of Moga district -Nihal Singh Wala, Dharamkot, Moga 1 and 2, Bagha Purana and Barnala where watertable is declining can face this spectre," says Dr AK Jain, Head, Soil and Water Engineering Department, Punjab Agricultural University.

While the solution lies in minimising extraction of groundwater in these blocks where groundwater level is declining by half-a-metre every year -through both diversifying from waterguzzling paddy and water-intensive industry and recharging water -the rise in level of brackish water, too, needs to be checked. At least in the latter, there seems to be some hope.

In July 2009, a delegation, led by Chief Minister Parkash Singh Badal, went to Israel and saw how wasteland was converted into water reservoirs and agro-processing was integrated with power generation. The same concept will be used to make 1.25 lakh hectares of water-logged areas in south-west Punjab useful for fish farming, biogas, dairy farms, orchards, food-processing industry and packaged drinking water.

Punjab Agro Industries Limited (PAIC), a state government organisation, is partnering with Sampuran Agri ventures, Fazilka a unit of food-processing company Nasa Agro, in a public-private business model to create water bodies over farmers' land and making saline water flow into them. "It's an integrated model. These ponds will then be used for fish farming. A part of water will be drawn for desalination process and used for bio-gas digsters to process paddy straw. The desalinated water can also be used for irrigating orchards and in dairy farms. This is not all. The treated water to be used for food processing industry and packaged water," says Sanjeev Nagpal, MD, Sampuran Agri Ventures.

To back up the ambitious mega project, a centre of excellence will come up over 50 acres in Fazilka in Ferozepur district for training farmers in various agro-processing and allied activities. The last link in the integrated model will be a food processing industry belt to be set up over 100 acres for producing snacks such as barley noodles to kinnow juice, fish, poultry and dairy products.

Also partnering in the project through its patented "bio-methanisation" technology is the Kirloskar group. "We have done pioneering work in the field of processing of paddy straw into biogas. The power will be supplied to the upcoming food processing industries in the proposed industry belt," says Deepak Palwangar, head, marketing, Kirloskar. The residue from the power plant would be converted into compost, which would be available at two-third price of chemical fertilisers. The effluent from the digester of bio-gas plant would be further treated for conversion into value-added products such as silica, lignin and cattle feed.

To begin with, two pilot bio-gas power projects will be set up at Sarjana (3 MW) and Fazilka (1 MW) and the plant will also generate 89,100 tonnes of bio-fertilisers. After successful run of the pilot project, it will be replicated in 30 sites in water-logged belt of the state, says Nagpal.

While Ludhiana-based Guru Angad Dev University for Veterinary Sciences is conducting experiments on fish rearing in saline water and the model can be replicated. However, PAU scientist Dr AK Jain, has words of caution: "The usefulness of the project to reuse saline water will depend on the correct use of technology. The construction of drains in the water-logged areas has to be done with right slope and width."

As for central Punjab districts where groundwater is fast depleting, data collection needs to be made more effective to portray the gravity of the problem, he says. "We have to rely on data provided by the irrigation and agriculture department. There should be a collaborative effort between Central and state agencies to deal with the problem," says Jain. 

FALLING WATERTABLE IN CENTRAL DISTRICTS MAY RESULT IN GOOD QUALITY WATER MIXING UP WITH BRACKISH WATER IN SOUTH-WESTERN PUNJAB A K JAIN, head, Soil and Water Engineering Department, Punjab Agricultural University, Ludhiana.

Thursday, March 24, 2011

30,048 fatalities in road accidents in past decade

Megha Mann
Tribune News Service

Ropar, March 23
As many as 30,048 persons have died in road accidents in last one decade in Punjab. While the state government had privatised road infrastructure development way back in 2004, it established a monitoring authority - Punjab Infrastructure Regulatory Authority (PIRA) - in 2009. Till date, PIRA just has a chairperson and the entire body structure remains to be nominated.

A brief analysis of the road fatalities trend 2001-2010 shows that till 2004 there were less than 2,700 deaths every year. "However, in 2004, the land prices increased sharply wielding Punjab's farmers with more power and money. Further in 2005, the liberal excise policy (spurt in number of liquor vends on roadsides) and privatisation of road network under build-operate-transfer (BOT) basis increased fatality growth by 7.64 per cent," observes Navdeep Asija, a research scholar on road safety with the IIT, Delhi.

By 2006, partial commissioning of BOT roads led to 6.8 per cent increase in accidents that further climbed by 9.9 per cent in 2007 with completion of many of the BOT roads. As per the Punjab Infrastructure (Development and Regulation) Act, 2002, the state government was supposed to set up PIRA within three months of notification of the Act. While a retired IAS officer, Tejinder Kaur, was appointed chairperson of PIRA in July 2009, the body's other members are yet to be appointed.

Rupinder Singh from NGO Safe Roads For Us says according to norms, the government should set up an authority to monitor BOT projects from the day construction work starts. In the name of road safety during the ongoing projects, small and vague boards announcing work in progress are installed. After dark and at times during the day, these boards are almost redundant leading to accidents.

"Here the regulatory authority plays pivotal role in keeping an eye on such road safety measures that constitute just five per cent of the total cost of project involved. If we err on road, we are challaned. Now the government has committed a tale of errors, but who will punish it?" he said., adding that even increase in fuel prices push down road accidents. The same was proved in 2008 when fuel prices increased sharply and fatalities came down by 0.9 per cent.

Later in 2009, fatalities increased by 9.7 per cent as fuel prices stabilised and more than 2,000 km of state and national highways were upgraded. In 2010, number of accidents reduced by 5.5 per cent owing to improved public transport system.

"Last year, the government had eased rules to pave way for more AC and luxury buses in the state. Accordingly, people preferred travelling in such improvised public system transport and 15 per cent rise in fuel prices, too, deterred people from using own vehicles. Road safety is a multidisciplinary approach. One department like transport or the police alone cannot handle it, even if they try to do their best," says Navdeep.

Wednesday, March 23, 2011

Bhagat Singh used to literally devour books; set a record of sorts

Bhagat Singh (1907-31) studied a lot till his arrest on 8 April 1929, yet his days of imprisonment are not less significant. Apprising us with this fact, one of his co-prisoners of the Lahore Central Jail, Shiv Verma, says, "Though we all had a passion for reading, Bhagat Singh was a class by himself. Despite having a soft corner for socialism, he always clung to his passion for reading novels, particularly with political and economic themes. Dickens, Upton Sinclair, Hall Cane, Victor Hugo, Gorky, Stepnik, Oscar Wilde and Leonard Andrew were among his favourites. He frequently got emotionally involved with some particular characters in novels, to the extent that he wept and laughed with them." 

His love for books is legendary like him. As per some estimates, he read nearly 50 books during his schooling (1913-21), about 200 from his college days to the day of his arrest in 1921, and, approximately 300 during his imprisonment of 716 days from April 8, 1929, to March 23, 1931. He was exactly 23 years, five months and 25 days old at the time of his execution, and had by then had studied hundred of books — a record of sorts. 

Throwing some light on Bhagat Singh's thirst for books, a well- known librarian of Dwarka Das Library (Lahore, now in Chandigarh) Raja Ram Shastri, once told Shiv Verma, "Bhagat Singh literally used to devour books. He would read books, makes notes, discuss with his friends and critically examine his own understanding in the light of new knowledge, rectifying the mistakes that came to be discovered." 

Bhagat Singh always moved with a small portable library. According to his nephew, Prof Jagmohan Singh, "Bhagat Singh established a library of 175 books by around 70 authors at Agra where the Assembly bomb plan was finalized. 

Bhagat Singh's collection of books, the heritage of our great freedom struggle that was confiscated and used as evidence to award him capital punishment, is still lying in a state of neglect in a lower trial court of Lahore." 

His love for books endured till the very end. Pran Mehta, Bhagat Singh's lawyer was allowed to meet him on March 23, 1931, just a few hours before the hanging. Bhagat Singh was then pacing up and down in the condemned-cell like a lion in a cage. He welcomed Mehta with a broad smile and asked him whether he had brought him Vladimir Lenin's book, "State and Revolution". As soon as he was handed the book, Bhagat Singh began reading it as if he was conscious that he did not have much time left. Soon after Mehta's departure, Bhagat Singh was told that the time of hanging had been advanced by 11 hours. By then, he had finished only a few pages of the book. 

Manmathnath Gupta, a close associate of Bhagat Singh, writes about those moments, "When called upon to mount the scaffold, Bhagat Singh was reading a book by Lenin or on Lenin, he continued his reading and said, 'Wait a while. A revolutionary is talking to another revolutionary.' There was something in his voice which made the executioners pause. Bhagat Singh continued to read. After a few moments, he flung the book towards ceiling and said, "Let us go." 

(M M Juneja is a former head of the history department at Chhaju Ram Memorial Jat P G College, Hisar. He has written 16 books, including two on Bhagat Singh) 

फाजिल्का से गहरा रिश्ता है शहीद-ए-आजम का : शहीदों की समाधि के बदले दिए थे 12 गांव

लछमण दोस्त. फाजिल्का

शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के समाधिस्थल पाकिस्तान से वापस लेने के लिए हुए समझौते के तहत फाजिल्का के 12 गांव पाकिस्तान को दिए गए थे। इसकी वजह से फाजिल्का की भौगोलिक स्थिति बिगड़ गई और अनेक वीर जवानों को भारत-पाक 1965 व 1971 युद्ध में शहादत देनी पड़ी। 

इसके बावजूद फाजिल्का को नजरअंदाज किया गया है। इस कारण फाजिल्का पिछड़ गया है। भगत सिंह को याद करने वाले नेताओं में ऐसे कम नेता है, जिन्हें पता हो कि 60 के दशक से पहले तीनों शहीदों की समाधि पाकिस्तान के कब्जे में थी। जनभावनाओं को देखते हुए 1950 में नेहरू-नून मुहाइदे के तहत फैसला लिया गया था कि पाकिस्तान से शहीदों की समाधि वापस ली जाए। करीब एक दशक की इस ऊहापोह के बाद पाकिस्तान ने फाजिल्का का अहम हिस्सा मांग लिया। हालांकि सैन्य दृष्टि से यह इलाका अहम था, मगर जनभावनाओं को देखते हुए फाजिल्का के 12 गांव पाक को देने पड़े। यही वजह है कि पाक के साथ हुए दो युद्धों में फाजिल्का क्षेत्र को काफी नुकसान झेलना पड़ा। ग्रेजुएट्स वेलफेयर एसोसिएशन फाजिल्का के सचिव नवदीप असीजा ने इस क्षेत्र को शहीदों की धरती घोषित करने की मांग की है।

फाजिल्का से गहरा रिश्ता है शहीद-ए-आजम का 

लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह ने ब्रिटिश अधिकारी सार्जेंट स्कॉट समझकर मोटरसाइकिल पर आ रहे सार्जेंट सांडर्स को गोली से उड़ा दिया। ब्रिटिश अधिकारियों ने भगत सिंह को ढूंढने को अभियान तेज कर दिया। वह अनेक जगहों से होते हुए फाजिल्का तहसील के गांव दाने वाला में पहुंचे। यहां उन्होंने देश भक्त साथी जसवंत सिंह दाने वालिया घर में पनाह ली। भगत सिंह दिन के समय वेष बदलकर अन्य देश भक्तों के साथ अपने संबंध कायम रखते और रात के समय दाने वालिया के घर लौट आते। यहां वह जसवंत सिंह के बाहरले घर की हवेली में ठहरते। भगत सिंह वहां कई महीनों तक रहे। वहां से जाते समय भगत सिंह ने गांव के लुहार हाजी करीम से अपनी पिस्तौल की मरम्मत करवाई। 1929 में गिरफ्तारी के बाद भगत सिंह ने पुलिस को यह बता भी दिया कि इस दौरान उन्होंने कहां-कहां पनाह ली? इसके बाद ब्रिटिश पुलिस ने गांव में छापामारी करके घर-घर की तलाशी ली और ग्रामीणों से भगत सिंह के बारे जानकारी हासिल करने का प्रयास किया, लेकिन किसी भी ग्रामीण ने भगत सिंह के गांव में छुपे रहने की बात नहीं बताई।

Tuesday, March 22, 2011

यहां मजहब की नहीं कोई दीवार

अमृत सचदेवा, फाजिल्का
मजहब के नाम पर दंगे भारत की पहचान नहीं हैं। हिंदुस्तान सदियों से शांति का दूत रहा है। कुछ ऐसा ही संदेश फाजिल्का में बना एक धार्मिक स्थल दे रहा है। यहां धर्म-वर्ग से इतर हिंदू, मुस्लिम व सिख समुदाय के लोग एक साथ नतमस्तक होते हैं।

स्थानीय बीएसएफ मुख्यालय से ठीक आगे आवा रोड पर एक साथ बने मंदिर, मस्जिद व गुरुद्वारे आपसी भाईचारे का संदेश दे रहे हैं। यहां शिव मंदिर में हर देवी देवता की आराधना होती है। वहीं बाबा सैयद मीर मुहम्मद की मजार पर हर धर्म के लोग सजदा करने आते हैं, तो दूसरे कोने पर बने गुरुद्वारा साहिब में हर कोई सरबत के भले की कामना करता है। यहां बीएसएफ कैंपस में रहने वाले विभिन्न धर्मो के परिवार भी आते हैं। शहर व गांव आवा से भी हर धर्म के लोग पहुंचते हैं। बीएसएफ कैंपस के कारण सफाई व्यवस्था व हरियाली के बेहतरीन प्रबंध के चलते यह प्वाइंट सुबह शाम सैर करने वालों के आकर्षण का केंद्र भी है।

समाधि की सेवक सभा के अध्यक्ष प्यारे लाल सेठी ने बताया कि यहां धर्म तोड़ता नहीं, बल्कि हर किसी को एक दूसरे से जोड़ता हुआ प्रतीत होता है। जब भी समाधि पर मेला लगता है, तो मंदिर व गुरुद्वारा साहिब के सेवादार सेवा करते हैं। जबकि मंदिर व गुरुद्वारा साहिब के आयोजन में समाधि सभा के सदस्य शामिल होते हैं। सुबह से ही यहां भजनों, गुरबानी व समाधि स्थल पर सजदे के स्वर गूंजने लगते हैं। सभी धर्मो का साझा यह स्थल भारत-पाक सीमा पर रीट्रीट सेरेमनी देखने जाने वाले पर्यटकों के आकर्षण का भी केंद्र बना रहता है।
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समाधि पर मेला आज

बाबा सैयद पीर मुहम्मद की समाधि पर 22वें वार्षिक मेले का आयोजन मंगलवार को किया जाएगा। मेले का शुभारंभ कांग्रेस नेता देवेंद्र सचदेवा सुबह 10 बजे करेंगे व शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी द्वारा किया जाएगा। मेले की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अनिल सेठी ने बताया कि मेले में फाजिल्का व आसपास के गांवों के अलावा दूर दराज से लोग मन्नतें मांगने आते हैं व मन्नतें पूरी होने पर प्रसाद चढ़ाने पहुंचते हैं।

Thursday, March 17, 2011

Fazilka social worker awarded for services

Our Correspondent
Fazilka, March 16

Dr Uma Sharma, a resident of Fazilka, has been bestowed with the Kesri Woman Award on the International Women's Day at a programme in New Delhi. She was the only woman from Punjab amongst 48 women selected from all over country out of the 80,263 entries.

Renuka Shah Nawaz gave away the award in the categories of social work to Dr Uma Sharma. Dr Uma Sharma, presently posted as Senior Information and Public Relations Officer in the Department of Information and Public Relations, Punjab, at Chandigarh, got the inspiration to become a social activist from her freedom fighter, poet, social reformer and journalist father Dr Gobind Ram Sharma 'Hamdam'.

The organiser of the programme, Kiran Chopra, chairperson, Varishat Nagrik Kesri Club Delhi spoke on the occasion. Sushma Swaraj, Leader of Opposition in Lok Sabha, was the chief guest while Kiran Bedi, Sangeeta Jetli and Sonakshi Sinha were guests of honour at the programme.

तिलक लगाओ- होली मनाओ, ताकि व्यर्थ न बहे कीमती पानी

Laxman Dost, Dainik Bhaskar, 17 March 2011

आज आपके पास पानी

फाजिल्का & नगर कौंसिल के रिकार्ड अनुसार फाजिल्का शहर में करीब 10 हजार टूटियां हैं और करीब 4 हजार अवैध कनेक्शन हैं। इसके अलावा सैकड़ों की तादाद में नलकूप हैं। करीब एक लाख की आबादी वाले इस शहर को रोजाना अनुमानित दो लाख गैलन से अधिक पानी दिया जा रहा है। इसमें लोगों की लापरवाही से वाटर सप्लाई की टूटियां खुली हैं और करीब 70 हजार गैलन पानी बेकार जा रहा है।

नहरी परियोजना 

2 लाख 87 हजार गैलन वाटरस्टोरेज की क्षमता 

1.50 लाख गैलन पानी रोजाना दिया जाता है 

गर्मियों में 9000 किली प्रति घंटा सप्लाई

सर्दियों में 8000 किली प्रतिघंटा दिया जाता है

ट्यूबवैलों से 

शहर में है 9 ट्यूबवैल 

20 हजार गैलन प्रति घंटा है क्षमता

3 अन्य ट्यूबवैलों के पानी की क्षमता 1200 लीटर प्रति घंटा है

आबादी के हिसाब से कम

सेंटीमीटर की दर से नीचे जाता रहा जबकि वर्ष 2004 से 2010 तक भूजल स्तर नीचे जाने की दर 74 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष हो गई। हालांकि वर्ष 2008 और 2010 में मानसून खूब बरसा, लेकिन इसका भी कोई खासा लाभ नहीं मिल सका।

अगर प्यासे नहीं मरना चाहते तो ऐसा कीजिए

फिरोजपुर & भास्कर की तरफ से पानी बचाओ व तिलक होली मनाओ के तहत पूरे देश में शुरू की गई मुहिम में जहां लाखों बच्चों के साथ-साथ देश के हर कोने से तिलक होली मनाने की आवाज उठनी शुरू हो गई है और यह काफिला दिन-ब-दिन बढ़ता हुआ भास्कर की इस मुहिम्म के साथ जुड़ता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय भारत-पाक सीमा पर बसे शहीदों के इस शहर के बाशिंदों ने भी तिलक होली मनाने का प्रण करते हुए कहा है कि अगर अब भी हम ना जागे तो आने वाले समय में पानी के लिए तीसरा विश्वयुद्ध होना यकीनी है। 

क्यों मनाएं तिलक होली

अगर हम वाकई पानी बचाना चाहते हैं तो रंगों के इस त्यौहार को तिलक होली के रूप में मनाना चाहिए और हाथों एवं सिर पर रंग उड़ेलने की बजाय अपने प्रियजनों के माथे पर तिलक लगा उन्हें होली की बधाई देनी चाहिए, क्योंकि हाथों पर लगे रंग को धोने में जहां एक से तीन लीटर पानी व्यर्थ होता है, वहीं सिर में लगे रंग को निकालने में पांच से 10 लीटर पानी व्यर्थ बहाना पड़ता है। बच्चों को भी पानी से दूर रह रंगों की होली खेलने की प्रेरणा देनी चाहिए।

Wednesday, March 16, 2011

Fazilka Rattan Dr. Uma Sharma bestowed with a Kesari Woman Award

Punjab Newsline Network
Wednesday, 16 March 2011

MOHALI: Dr. Uma Sharma social worker has been bestowed with a Kesri Woman Award on the occasion of International Women's Day in New Delhi.
She is the only woman from the Punjab State who was amongst the 48 women selected from all over India out of 80,263 entries. Renuka Shah Nawaz gave away this award in the categories of social work to Dr. Uma Sharma during an international function organized by Punjab Kesri Delhi.
It may be recalled here that Dr. Uma Sharma who is presently discharging her duties as Senior Information & Public Relations Officer in the Department of Information & Public Relations Punjab Chandigarh got the inspiration to become a social activist from her freedom fighter father late Dr. Gobind Ram Sharma from Fazilka.
Dr. Uma Sharma who is the president of Bharat Vikas Parishad Mohali, Nari Shakti Sabhyacharak Mohali,  Nand Lal Noorpuri Sabhyacharak Manch Mohali and Dr. Gobind Ram Welfare Society Fazilka, Chief Advisor Malwa Women Association Mohali, General Secretary NSS helpline Mohali, Vice president Public Relations Council of India Chandigarh Chapter, Patron Consumer Forum Mohali, Executive Member Prerna Society Mohali and Shaheedon ki Smadh Asif Wala Fazilka has been actively involved in bringing social awareness in the masses regarding education, healthcare, female foeticide, drug-de-addiction in general and protection of women rights in particular.
Appreciating the life time achievement of Dr. Uma Sharma, Kiran Chopra Chairperson Varishat Nagrik Kesri Club Delhi said, " All the awardees through out India have been short listed in three stages by the panel of selectors and jury members and I being a daughter of Punjab congratulate Dr. Uma Sharma for this rare honour and hope that she will continue her endeavour to promote women folk in the state in future with more enthusiasm and zeal."
On the occasion Sushma Swaraj leader of opposition Lok Sabha Delhi was the Chief Guest, Kiran Bedi, Sangeeta Jetli and Sonakshi Sinha were the guest of honour.

Monday, March 14, 2011

Politicos flex muscles : Poster war defacing public places in Fazilka

 Praful C. Nagpal

Fazilka, December 28
To derive political mileage, a virtual war in installing the flex board hoardings at prominent sites in and around the town among the political leaders has begun. The town can been seen dotted with the flex boards installed by politicians. The hoardings have been installed at public places allegedly by flouting the norms.

The sitting MLA, former MLA and self-proclaimed candidates, which include 'keen' contenders of the national and regional political parties of the ruling and opposition, have installed huge hoardings with almost a common theme of wishing happy new year and Lohri to the people of the area.

The main reason for the war of hoardings and enhancement in the number of aspirants for the legislature in the coming elections is the change in geography of the Fazilka assembly segment. Even the less popular aspirants for the membership of the legislature are projecting themselves to be the champions of the common man.

Those whose hoardings have been installed include two-time sitting BJP MLA Surjit Kumar Jyani, two-time former MLA Mohinder Rinwa, new contender for the Congress party ticket, former PPCC secretary Davinder Sachdeva, another aspirants for Congress ticket, local youth and member, Task Force, Ministry of Food Processing Atul Nagpal.

Following the delimitation and substantial increase in the Rai Sikh votes, young lawyer Sukhjit Singh Sukha and strongman Jaswinder Singh Rocky have also installed their hoardings.

There are about half a dozen known aspirants in different political parties including the Improvement Trust chairman Mohinder Pratap Dhingra of BJP, Bunty Bedi, considered to be a family friend of the PPCC chief Amarinder Singh, former MLA Mehtab Singh and former PPCC general secretary Jaspinder Singh Jakhar, who had contested the recent Assembly elections unsuccessfully as a rebel Congress party candidate. They have perhaps chosen to stay away from the war of hoardings.

"I do not want to indulge in the war of posters. Instead, I want to work at the grassroots level only," says Mohinder Prataph Dhingra. As per the information gathered by this correspondent, some of the aspirants, who have installed the hoardings, have not even paid the requisite charges to the contractors, who have been authorised by the local Municipal Council to collect the revenue.

A functionary of the administration, while requesting anonymity, said the poster war has defaced some areas but they are helpless due to the interference of the political bigwigs

कालेज की बेहतरी के लिए काम का लिया प्रण

जागरण संवाददाता, फाजिल्का
स्थानीय सरकारी एमआर कालेज ओल्ड स्टूडेंट एसोसिएशन मीट का आयोजन रविवार को किया गया। इस मीट में कालेज के कई पुराने स्टूडेंट शामिल हुए व बीते जमाने की यादों को ताजा किया गया। साथ ही कालेज की बेहतरी के लिए काम करने का प्रण लिया।

वक्ताओं ने कालेज में प्राध्यापकों के रिक्त पद भरने, बच्चों की संख्या के अनुसार पद मंजूर करवाने, रोजगार दिलाने वाले कोर्स शुरू करवाने, पीजीडीसीए व अन्य कंप्यूटर कोर्स सरकारी तौर पर करवाने, पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए म्यूजिक व होम साइंस विषय शुरू करने, प्रिंसिपल आवास का पुनर्निर्माण करवाने जैसे मुद्दे उठाए गए। इस मौके पर एक कमेटी बनाने का फैसला भी लिया गया, जो समय-समय पर कालेज की समस्याओं को उठाकर उनका समाधान करवाएगी। एक अहम मांग यह की गई कि कालेज की 18 एकड़ कृषि भूमि का ठेका सरकारी कोष में देने की बजाए कालेज को दिया जाए। मीट के दौरान 1950 में बीए करने वाले अमर लाल नरूला, प्रिंसिपल कुलबीर सिंह व प्रिंसिपल प्रीतम कौर को सम्मानित किया गया।

एसोसिएशन के अध्यक्ष भगवंत सिंह वैरड़ ने उपस्थिति का आभार प्रकट किया। आयोजन में चीफ पैटर्न कुलवंत सिंह प्रिंसिपल, पैटर्न एसपी गुप्ता, प्रो. रामकुमार, प्रिंसिपल कुलबीर सिंह, महासचिव प्रो. देसराज, संयुक्त सचिव नवदीप असीजा, उपाध्यक्ष हरजिंदर सिंह बराड़, हरी सिंह संधू, देवेंद्र सिंह आदि ने पूर्ण सहयोग किया। जबकि शिक्षाविद् राजकिशोर कालड़ा, वीणा चलाना, विकास डागा सहित कई ओल्ड स्टूडेंट कार्यक्रम में शामिल हुए।

M.R.Govt College Old Students Meet on 13th March 2011 at Faziilka- Rojana Ajit


Saturday, March 12, 2011

High Court Ordered UT Administration to contact Graduates Welfare Association of Fazilka (GWAF) Secretary Navdeep Asija

Opining that location of night food streets can be more appropriate for the betterment of the general public, the Punjab and Haryana High Court today asked the UT Administration as to why the location of night food street cannot be shifted to Sector 17, Chandigarh, than on the outskirts of the city, the present location.

The suggestion was made during the resumed hearing of a public interest litigation (PIL) arising out of a suo motu cognizance taken by the High Court on the basis of a news item highlighting the deteriorating condition of night food streets.

The Bench also asked the UT Administration to contact Graduates Welfare Association of Fazilka (GWAF) Secretary Navdeep Asija which had invented the concept of eco cabs, non-polluting cabs, in Fazilka, Punjab so that they (eco cabs) can be introduced in the city beautiful. Senior standing counsel for UT Administration Sanjay Kaushal sought time to seek instructions in this regard.

It was on the basis of a news item published by The Indian Express that the then Chief Justice Mukul Mudgal of the High Court had taken suo motu cognizance and issued notices to Chandigarh and States of Punjab and Haryana asking them to explain as to why eco-cabs shall not be introduced in the States.

Friday, March 11, 2011

Jakhar raises issue of children blinded by polluted water

Chandigarh, Indian Express, Page 5, 11 March 2011
THE reference of a restaurant in Zurich, run by visually impaired people, came up during the Zero Hour on Thursday, as the issue of children from Fazilka who lost their eyes due to use of polluted water was raised by Congress MLA Sunil Jakhar.

Talking about the children in Dona Nanla village of Fazilka, Jakhar said they came to a television studio in Chandigarh on Wednesday and narrated their stories of how they were blinded by the polluted water in the Chand Bhan drain. He said the drain flowing from Muktsar had pollutants in its water, discharged by Setia Paper Mill that never used its anti-pollution plant.

He added: "There is a restaurant run by the blind in Zurich by the name Blindecuha. The building was given to these people by the local church. The restaurant is expensive and those who want to have food there, need to book a table two months in advance. The person at the reception is 90 per cent blind and can only make out whether it is day or night. The waiters are totally blind and so are the chefs, who are assisted by `normal' volunteers. T o be a volunteer, too, also one has to wait for six months."

Stating that by running this restaurant these people want to make one feel what difficulties a visually impaired person faces in life, Jakhar said: "They take you to a totally dark room and are asked beforehand to remove all glittering items they are wearing. Food is served in the same room, making the diners experience their pain."

Presenting a contrast, he said: "For National Programme for Control of Blindness, under the National Rural Health Mission (NHRM), the state government got Rs 6.91 crore in 2010-11 and Rs 2.86 crore in 2009-10, but it did not spent a single penny. In 2008-09, it had got Rs 1.86 crore and spent only Rs 85 lakh, while in 200708, it received Rs 3.2 crore and spent only Rs 79 lakh," he added.

On this, Health Minister Laxmi Kanta Chawla said: "During Congress tenure too, money under this scheme was not utilised. Tell us your figures." On the other hand, Chief Minister Parkash Sngh Badal said: "We are cleaning the rivers and a fund of Rs 2,100 crore has been sanctioned by the Centre for Sutlej Action Plan.

Thursday, March 10, 2011

ये नहीं कह सकते, जल ही जीवन है

इन्द्रप्रीत सिंह & चंडीगढ़
Dainik Bhaskar, 10, March 2011, Chandigarh Edition, Page-3

छह साल का रोशन सरकारी स्कूल में पढ़ता है। उसे 45 तक के पहाड़े जुबानी याद हैं। दूसरी क्लास की सिमरनजीत 91 तक के पहाड़े बिना रुके सुना सकती है। तीसरी की गुरमीत और चौथी क्लास की पिंकी ने 151 और 135 तक के पहाड़े रट रखे हैं। ऐसे बच्चों को पाकर कोई भी अभिभावक खुद पर नाज कर सकता है, लेकिन दोनां नानका गांव के ये अभिभावक इतने खुशनसीब नहीं हैं। वे जानते हैं कि उनके बच्चे एक-आध साल में या तो अंधे हो जाएंगे या फिर जिस जुबान से वे फटाफट पहाड़े सुनाते हैं, वह बोलना बंद कर देगी। 

यह हालत दो-चार की नहीं, बल्कि सतलुज दरिया के साथ लगते दर्जनों गांवों के बच्चों की है। दोनां नानका के मोहन सिंह के बड़े बेटे शंकर की उम्र 19 साल है। जब वह चौथी में था तो उसे धुंधला दिखाई देने लगा और कुछ ही महीनों बाद दुनिया की रंगीनियां उसके लिए काली हो गईं। छोटा बेटा बिसाखा कुछ-कुछ देख तो पाता है, लेकिन किसी को पहचान नहीं सकता। 

'इनकी नहीं, नेताओं की आंखों की रोशनी चली गई': इन बच्चों के लिए आवाज उठा रहे हास्य कलाकार भगवंत मान का कहना है कि इन बच्चों की नहीं, बल्कि नेताओं की आंखों की रोशनी चली गई है, जिन्हें ये दिखते नहीं हैं। नेताओं के पास विरोधियों को उलटे टांगने या सिर कलम करने जैसे मुद्दे ही रह गए हैं, लेकिन जिस दर्द का एहसास इन बच्चों और इनके अभिभावकों को है, उससे नेताओं को कोई वास्ता नहीं है। भगवंत बुधवार को इन सभी बच्चों को चंडीगढ़ लेकर आए थे। वे लोक लहर फाउंडेशन बनाकर इनकी आर्थिक मदद भी कर रहे हैं। इन मेधावी छात्रों को ट्रेंड करने वाले अध्यापक लवजीत सिंह लवजीत चुनौती देते हैं जिस तरह का स्कूल उन्होंने अपने स्तर पर बनाया है, पूरे पंजाब में कोई भी प्राइवेट उसका उसका मुकाबला नहीं कर सकता।

Children developing deformities in Punjab''s border villages

Chandigarh, Mar 9 (PTI) Children living in the border villages of Punjab''s Ferozepur district are developing various health problems, most of them losing their eye sight, after consuming heavily polluted groundwater.
A number of children in villages of Dona Nanka, Teja Rawela, Matam Nagar and Bhanewala among many others in Fazilka belt of Ferozepur district are suffering from loss of vision and hearing, greying of hair, skin diseases, physical deformities and mental retardation due to consumption of the heavily contaminated water.
The water of Sutlej gets polluted close to the Indo-Pak border due to discharge of toxic heavy metals like mercury, lead and chromium into the river by industries in Jalandhar, Ludhiana, Muktsar, Moga and Kasur town of Pakistan.
The toxics have also entered the area''s water table.
Shankar Singh, 23, a resident of Dona Nanka village close to the border, lost his eyesight a decade ago and his younger brother Visakha, who was born healthy, went deaf and dumb as he grew up.
Lovjeet Singh, a teacher at a government primary school at Dona Nanka said out of the total 180 children at the school, at least 120 have some or the other physical abnormality.
Even cattle, crops and birds appear unhealthy in the border villages, he said, adding that often dead fish are found floating in the channel.
"The state government is doing little about the plight of residents of border villages who have become handicapped as they are forced to consume poisonous water of Sutlej river," Singh said.
The villagers, who bank upon ground water drawn through handpumps, have no option but to drink the brackish water, he said.
Noted Punjabi comedian Bhagwant Mann, who has set up an NGO ''Lok Lehar Foundation'' to provide all possible help to the affected children, said health department officials visit these villages and leave after collecting samples of water to examine its heavy metal content, but nothing is done after that.
"The politicians who go to these villages to seek votes during elections and Deputy Chief Minister Sukhbir Singh Badal, in whose constituency some villages fall, are all mum over the plight of the residents of these villages," Mann said. 

http://news.in.msn.com/national/article.aspx?cp-documentid=5013133

Tuesday, March 8, 2011

नगर परिषद की भूमि से काटे गए लाखों के पेड़

सुबोध वर्मा, फाजिल्का

सैनियां रोड पर नगर परिषद द्वारा ठेके पर दी गई कृषि भूमि से टाहली, पापुलर व नीम के दर्जनों पेड़ चोर काट ले गए। इनकी कीमत लाखों रुपये आंकी जा रही है। काटे गए पेड़ों के ठूंठ व निशान साफ नजर आ रहे हैं लेकिन नगर परिषद अध्यक्ष ने इस मामले की रिपोर्ट दर्ज करवाने की बजाए पेड़ गायब होने से ही इंकार कर दिया।

गौरतलब है कि जिस कृषि भूमि से यह पेड़ गायब हुए हैं, उस भूमि पर परिषद अध्यक्ष से जुड़ा एक भाजपा पार्षद खेती संबंधी कार्य कराता है। शनिवार को जब दैनिक जागरण ने मौके का मुआयना किया तो वहां काटे गए पेड़ों के ठूंठ साफ नजर आ रहे थे और कई जगह खोदी गई ताजी मिट्टी पेड़ काटे जाने की कहानी साफ बयां कर रही थी। दैनिक जागरण को मिली जानकारी के अनुसार जो पेड़ चोरी चुपके काटे गए हैं, उनमें से ज्यादातर टाहली, पापुलर व नीम के दरख्त हैं।

नगर परिषद की भूमि पर दरख्त काटे के जाने बारे एसडीएम अजय सूद व नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी को फोन पर जानकारी दी गई। एसडीएम ने नगर परिषद के ईओ को मौके पर जाकर जांच करने को कहा लेकिन करीब दो घंटे बाद नगर परिषद अध्यक्ष ने दैनिक जागरण को फोन पर बताया कि उन्होंने जांच करवाई है, वहां पर कोई भी दरख्त नहीं काटा गया।


करोड़ों के पेड़, पर गिनती नहीं

फाजिल्का: नगर परिषद के पास ढाई सौ एकड़ के करीब कृषि भूमि है। इसके चलते इसकी गिनती पंजाब की सबसे अमीर नगर परिषदों में होती है। इस भूमि पर टाहली, पापुलर, नीम इत्यादि के पेड़ लगे हुए हैं लेकिन इनकी गिनती व नंबरिंग न होने के चलते इस भूमि को ठेके पर लेने वाले लोग ही बगैर मंजूरी के चोरी से इन पेड़ों को काट ले जाते हैं। ठेके पर भूमि लेने वाले आम तौर नगर परिषद अध्यक्ष के करीबी होते हैं, इसलिए नगर परिषद अधिकारी व कर्मचारी ऐसे मामलों में सब कुछ जानते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं कर पाते।

Friday, March 4, 2011

Inquiry finds complaint against ex-DGSE Krishan Kumar fake

A complaint against the former Director General School Education (DGSE) Krishan Kumar for which a three- member committee was also constituted by the Education Minister, has been found to be fake.

In the first week of February, Education Minister Sewa Singh Sekhwan received a complaint from Fazilka-based Rakesh Kumar, resident of Sachdeva street, in which he had alleged that six employees of Education department — Manoj Kumar, Ashwini Kumar, Soma Sablok, Jagtar Singh Jagga, Satpal Sharma and Davinder Boha — are involved in a scam worth crores regarding the printing of stationery in Padho Punjab campaign. The complaint also stated that the employees were shielded by the then DGSE Krishan Kumar and he should be transferred.

Soon after receiving this complaint, Sekhwan marked an inquiry which was carried out by Davinder Singh DPI (Secondary), Sadhu Singh Randhawa and the new DGSE Bala Deva Purusharth. At the same time, the above mentioned six employees were also transferred to different parts of the state.

Kumar was transferred in the second week of February to National Rural health Mission (NRHM). But it was said that apart from the above complaint, the Education Minister was driven in part by an ego clash with Krishan Kumar for his not showing to the minister the list of 6,200 teachers who were to be appointed under SSA. Rakesh Kumar is a cloth merchant in Fazilka and he expressed surprise over this complaint given in his name.

He said, "The address given on the complaint is correct, but the mobile number is not mine and I have nothing to do with the Education department. I am surprised as to why my name has been 'misused'."

ओपन सैंक्चुअरी में 4726 हिरण व 128 मोर

Mar 03
संदीप बिश्नोई, अबोहर

एशिया की सबसे बड़ी ओपन सैंक्चुअरी में वन्य जीवों की गणना का काम वीरवार को पूरा कर लिया गया। गणना के अनुसार यहां हिरणों की संख्या बढ़कर 4726 हो गई है जबकि 13 वर्ष पूर्व यह संख्या तीन हजार थी।

जिला जंगली जीव अधिकारी संजीव तिवारी ने बताया कि दो दिनों तक छह टीमों ने वन्य जीवों की गिनती निपटाई। उन्होंने बताया कि गणना के अनुसार हिरणों की संख्या 4726 हो गई है जबकि 7476 नील गाय व 128 मोर पाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि कई वर्षो तक गिनती न होने का मामला दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था जिसके बाद विभाग ने गिनती प्रक्रिया शुरू करवाई।

अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा पंजाब के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजिंद्र पूनिया ने कहा कि अब जब यहां हिरणों की संख्या भी बढ़ गई है तो सरकार को इनकी सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त करने चाहिए। उन्होंने कहा कि 13 गांवों के साढे़ 46 हजार एकड़ क्षेत्र में फैली इस सैंक्चुअरी में पर्याप्त गार्ड व वाहन तक नहीं है और न ही इन जीवों के उपचार के लिए कोई अस्पताल या डाक्टर की व्यवस्था है। उन्होंने इस क्षेत्र में मोरों की घटती संख्या पर चिंता भी जताई।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_7396627.html

Tuesday, March 1, 2011

Union Budget 2011: Concessions for farm machinery won't benefit farmers, says Vikram Ahuja

AHMEDABAD: Punjab-based Zamindara Farm Solutions (Pvt) Ltd, managing director Vikram Ahuja which offers agricultural equipment to farmers at a nominal rent feel that the concessions being provided for farm machinery would not benefit marginal farmers. 

The government has reduced basic customs duty to 2.5% from 5% to specified agricultural machinery and there parts to encourage their domestic production would cater to a specific group of farmers. 

Also, custom duty on micro-irrigation equipment from 7.5 per cent to 5 per cent has been reduced to promote the efficient means of irrigation especially for dry land farming. 

" Rs 4,000 to Rs 5,000 benefit will not make a huge difference to a farmer who is importing machinery. Government should have given grants to companies working in extension services in villages to ensure the benefit reaches at the farm gate,"he said.