Thursday, September 1, 2011

संशोधित.. पंजाब.. फाजिल्का : खुशामदीद! 64 साल बाद ईद

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

ईद का मुबारक मौका..एक-दूसरे के गले लगते लोग.. मुस्लिम भाइयों को मुबारकबाद देते हिंदू व सिख..। देखने में भले ही सब कुछ सामान्य लग रहा हो, पर यह खुशी सामान्य नहीं थी। हो भी क्यों, आखिर आजादी के बाद यहां पहली बार ईद की नमाज जो अदा की गई थी।

हम बात कर रहे हैं यहां बार्डर रोड स्थित जामा मस्जिद की, जहां मुस्लिम भाइयों ने आजादी के बाद पहली बार ईद की नमाज अदा की। दरअसल, देश के बंटवारे के बाद यहां से मुस्लिम भाइयों के पलायन के बाद मस्जिद पर यहां रहने वाले हिंदू परिवारों ने कब्जा कर लिया। पिछले 13 सालों से इस पर एक हिंदू कामरा परिवार का कब्जा था।

वैसे तो वक्फ बोर्ड बराबर इस पर अपना दावा जताता रहा, लेकिन वह इस मसले को भाईचारे से हल करने का ही पक्षधर था। यही कारण रहा कि वक्फ बोर्ड ने इस मामले को लेकर कभी अदालत की शरण नहीं ली। वक्फ बोर्ड का यह भरोसा आखिरकार रंग लाया और आपसी बातचीत के बाद 31 दिसंबर, 2010 को कामरा परिवार ने खुशी-खुशी मस्जिद मुस्लिम भाइयों को सौंप दी।

इसी दिन पंजाब वक्फ बोर्ड के धार्मिक मामलों की कमेटी के चेयरमैन मोहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी के नेतृत्व में आजादी के बाद यहां पहली बार नमाज अदा की गई थी और आज पहली बार ईद मनाई गई। ईद की नमाज अदा करने के बाद मस्जिद के इमाम मुहम्मद कमरुद्दीन अत्तारी अपनी खुशी अकेले समेट नहीं सके और पहुंच गए भाईचारे के बीच। खुशी से लबरेज उनके होंठ कुछ कहना चाहते हैं, पर बोल बाहर नहीं आ आते। भावनाएं उमड़ती हैं और बस इतना कहते हैं.. शुक्रिया भाइयों। थोड़ा रुक कर फिर कहते हैं कि हिंदू भाइयों ने मुसलमानों की भावनाओं की कद्र करते हुए मस्जिद का कब्जा मुस्लिम भाईचारे को सौंपा है। अब बस यही दुआ है कि यह भाईचारा इसी तरह सलामत रहे।

इस एतिहासिक मौके पर नमाज अदा करने पहुंचे मुस्लिम भाइयों ने सभी संप्रदायों का भाईचारा यूं ही बने रहने, हिंदुस्तान में अमन चैन कायम होने और हर तरफ शिक्षा व ज्ञान का प्रकाश फैलने की दुआ मांगी। अपनी भावनाएं जताते हुए कहा कि अगर इसी तरह हर जगह लोग भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए आपसी मसले हल कर लें तो समाज में हमेशा अमन-शांति बनी रहेगी।

इस अवसर पर मुस्लिम भाइयों के अलावा मस्जिद के एक हिस्से पर काबिज कामरा परिवार के सदस्य बिट्टू कामरा व उनके साथियों ने भी गले मिल उन्हें ईद की मुबारकबाद दी। कामरा परिवार ने ही भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए मस्जिद के लिए अपनी मर्जी से वह जगह छोड़ी है।

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