Monday, February 27, 2017

‘रिट्रीट’ में विरासत की झलक, सेना के पराक्रम की शौर्यगाथा

अमृत सचदेवा ' फाजिल्का थीम बेस्ड काफी हाउस और रेस्तरां के बारे में तो आप ने सुना ही होगा लेकिन फाजिल्का में एक ऐसा कैफे है जिसकी थीम फाजिल्का की खूबियां हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं रिट्रीट कैफे की। यहां सरहदी इलाके के रहन-सहन की झलक, पुराने फर्नीचर व पुरातन वस्तुओं के बीच विरासत का एहसास तो होता ही है साथ ही पुराने जमाने की गूंज रही शेरो-शायरी में मगन लोग मोबाइल, इंटरनेट, वाट्सएप की दुनिया से दूर शतरंज की चाल चल के साथ कैरम की बाजी लगाते हुए जब कॉफी की चुस्कियां लेते हैं, शाही अंदाज भी नजर आता है। कैफे की एक खास बात यह है कि यहां भारत-पाक युद्ध में फाजिल्का को पाकिस्तान के कब्जे में जाने से बचाने वाले सीमा रक्षकों को समर्पित एक अलग ही कोना बनाया गया है। जहां सेना की शौर्यगाथा देखने को मिलती है। कैफे का संचालन युवा शिवांश कामरा करते हैं जो इससे पहले रूरल आर्ट के नाम से एक आर्ट गैलरी का संचालन भी कर रहे हैं। यह गैलरी भी अपने आप में अनूठी गैलरी है जहां ग्रामीण अंचल में हाथों से तैयार होने वाले विभिन्न सजावटी सामानों व दैनिक प्रयोग वाली कलात्मक वस्तुओं को एक ही छत के नीचे मुहैया करवाया गया है।

रिट्रीट सेरेमनी से प्रभावित होकर रखा रिट्रीट नाम 
शिवांश बताते हैं कि कैफे का नाम यहां बार्डर पर होने वाली रिट्रीट सेरेमनी की तर्ज पर रिट्रीट कैफे रखा है। एक कोने में आफिसर मैस बनाई गई है जहां सुरक्षा अधिकारी या शहरवासी सेना व सीमा सुरक्षा बल के शौर्य से रूबरू हो सकते हैं। यहां फाजिल्का को पाकिस्तान का हिस्सा बनने से बचाने वाले सीमा रक्षकों की बहादुरी और फाजिल्का के इतिहास से रूबरू करवाती करीब 15 पुस्तकें पढ़ने के लिए मुहैया करवाई गई हैं। एक पाकिस्तानी जनरल की लिखी फाजिल्का पर हमले के दौरान हुए टकराव और भारतीय सैनिकों द्वारा फाजिल्का को बचाने की गाथा पर लिखी पुस्तक भी है।एक बार आने के बाद एडवांस में करवा जाते हैं बुकिंगरिट्रीट कैफे में अपने खास अंदाज के कारण काफी मशहूर हो रहा है। कैफे में समय बिताने के लिए लोग हफ्तों पहले बुकिंग करवाने लगे हैं। यहां आने वाले प्रिंसिपल पंकज धमीजा, रिटायर्ड प्रो. भूपिंदर सिंह, एडवोकेट उमेश कुक्कड़ का कहना है इतिहास को संजोकर रखना बड़ी बात है। युवा वर्ग यहां आकर काफी की चुस्कियों के साथ गिटार, शतरंज व गीतों का लुत्फ उठाते हैं। नामी शायरों की शायरी समां बांध देती है। यहां परोसे जाने वाले काफी, शेक या सनेक्स आदि के दाम भी नो प्राफिट नो लॉस के आधार पर रखे गए हैं।

फाजिल्का के रिट्रीट कैफे में विरासती फर्नीचर, पाकिस्तान के कब्जे में जाने से बचाने वालों की किताबें भी


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