Monday, May 29, 2017

फाजिल्का व्यापार मंडल के नाम एक खुला पत्र

बात सन की हैं 2008 , जब फाजिल्का की ऐतिहासिक धरोहर घंटा घर के पास से निकलना मुश्किल था, कयोंकि दुकानदार भाइयों ने उसे पब्लिक टॉयलेट बना रखा था | पहली बार फाजिल्का के कुछ शहरी आगे आये, बजरंग गुप्ता जी ने नगर कौंसिल का सहयोग दिलवाया और घंटा घर की सफाई कर हवन करवाया गया था | सरहद केसरी परिवार , ग्रेजुएट्स वेलफेयर एसोसिएशन, अमृत सचदेवा , आर्य समाज, सेवा भारती आदि सामाजिक संस्थाए और चंदर रेस्टोरेंट , हरमीत वाच कंपनी , नागपाल बूट हाउस, अदि कुछ घंटाघर की मार्किट के दुकानदार साथ आये | ज़्यादातर दुकानदार विरोध में की अब हम मूत्र विसर्जन कहां करेंगे | इतनी बड़ी दुकाने , कुछ एक कब्ज़े पर भी, पर मूत्र विसर्जन के लिए ऐतिहासिक धरोहर घंटा घर | पहली बार फाजिल्का विरासत महोत्सव के समय घंटाघर को सफाई करवा कर सजाया गया | अनिल सेठी नगर कौंसिल प्रधान बने और इसके बाद इसके काया कल्प की जिम्मेदारी उठाई गयी और आज वही घंटा घर शान फाजिल्का की | जिसपर फाजिल्का ज़िले का आंदोलन हुआ | जब धरोहर को बचाना था तब कहां था व्यापार मंडल और उनके सदस्य ?

नगर कौंसिल की सफाई कर्मचारी सुबह रोज आठ बजे सड़कों की सफाई करके जाते हैं , दुकानदार भाई नौ बजे दुकान खोलते हैं और कूड़ा सड़क पर | मैंने तो नहीं देखा कभी व्यापार मंडल को दुकानदारों को यह आदेश देते हुए की एक डस्टबिन रखो , कूड़ा सड़को पर मत फेंको | मैंने तो आपातकाल बैठक नगर की सफाई के लिए कभी होते नहीं देखी | 

दुकानदार रेहड़ी खड़ी करने के एवज में रोजाना 200 से 300 रुपए लेते हैं , कौनसा नियम कानून यह कहता हैं | अगर गरीब रेहड़ी वाला रोटी खा लेगा तो क्या | नगर निगम की सड़क और पैसे ले दुकानदार | इस गैर कानूनी काम पर कयों नहीं बोला व्यापार मंडल कभी ?

गौशला रोड पे केवल पांच पेड़ , लगाना तो दूर मिट्टी का तेल डालकर उसे ख़तम कर दिया , सत्ता के करीबी थे तो कोई बोल भी न सका , धन्य है , डॉक्टर भूपिंदर सिंह और एडवोकेट जयपाल सिंह संधू जिसने इस पेड़ को काटने से रोका , पर मिटटी का तेल जड़ो में ड़ालकल मार दिया , कयों नहीं बोला तब व्यापार मंडल फाजिल्का | 

पैदल चलने की जगह कब्जे करे आपके दुकानदार , घंटाघर पर शौचालय बनाकर मूत्र विसर्जन करे आपके सदस्य , सड़क पर कूड़ा फेंके आपके सदस्य, पेड़ काटे आपके सदस्य तब फाजिल्का व्यापार मंडल कहीं इसका बहिष्कार करते नहीं दिखा ?

फाजिल्का में 70,000 लोग हैं और शहर केवल 2000 दुकानदारों का नहीं , सफाई , ऑक्सीजन , चलने की सुविधा आपको भी चाहिए ?? आपके बंद से लोग तंग होंगे और कोई समर्थन भी नहीं मिलना है पदाधिकारियों की शान जरूर बन जाएगी | 

पार्किंग ठीक होने से और जाम लगने बंद होने से व्यापार काम हो गया , यह तथय सही नहीं , कुछ अच्छा करने की प्रशाशन ने कोशिश की हैं , कोई कमी है तो मिल बैठ उसे ठीक करो और शहर को आगे बढ़ाओ | रोज रोज बंद की धमकी , फाजिल्का है कोई कश्मीर नहीं | 

ऑनलाइन का जमाना हैं समय के साथ बिज़नेस में क्या बदलाव चाहिए फाजिल्का व्यापार मंडल बैठके इसपर चर्चा करने की बजाये पदाधिकार बंद के आह्वान से दुकानदारों का और नुक्सान | एक यही एक दिन की कमाई से पूरे शहर में डस्टबिन रखे जा सकते हैं | माननीय व्यापर मंडल जी व्यापर और फाजिल्का को आगे बढ़ाइये नाकी नकारात्मक सोच से फाजिल्का को एक सदी पीछे | 

एक फाजिल्का निवासी 

Tuesday, May 9, 2017

सड़क सुरक्षा, स्पीड और हम

भारतीय सड़क सुरक्षा इस उदहारण से बेहतर तरीक़े से बताई जा सकती है | हमने सब छोटे बच्चो को एक एक चॉकलेट का पैकेट बाँट दिया और बोला की इसमें से सिर्फ एक ही स्लाइस खाना हैं और अगर ज्यादा खाया तो आप बीमार पड़ जाओगे | इसी बीच एक NGO को फंडिंग करके बोला की देखो भारतीय बच्चे कैसे चॉकलेट खाते हैं | अब बच्चे हैं , कौन एक स्लाइस से मानता हैं , सभी ने पूरी चॉकलेट खा ली | चॉकलेट कंपनी ने रिसर्च वाले को विदेश घूमने के पैसे दिए और बोला जाओ और पूरी दुनिया को बताओ की "भारतीय बच्चो को चॉकलेट खानी नहीं आती" | जब यह रिसर्च छपी तो विदेश से चॉकलेट बनाने वाली कंपनीओ ने रिसर्च, सरकार और NGO के माध्यम से पैसे भेज कर यह बोला की जाओ भारतीय बच्चो को चॉकलेट खानी सिख़ाओ | भारतीय बच्चे तो बदनाम हुए पर चॉकलेट की सेल बढ़ गयी |  अब आप सोचेंगे की इसका सड़क सुरक्षा से क्या लेना देना | सड़क बनाने वाली और गाड़ी बनाने वाली कंपनी कुछ ऐसा ही कर रही हैं | हमारे या दुनियाँ के सभी शहरों में ज्यादातर शहरों में कानूनी गति 50 KMPH है | हम सड़क बनाते हैं 100KMPH वाली और उसपे बनाकर गाड़ी देते हैं 200 KMPH से चलने वाली | गाड़ी और सड़क बनाने वाले रसुकदार और अमीर ठहरे , वह सभी महानुभावों को पैसे देकर बोलते हैं , सेमीनार लगाओ और भारतीय ड्राईवर को गाड़ी चलाना सिखाओ | कभी भी फ़ोकस अपने ऊपर आने नहीं दिया , और यही कारन हैं की सेमीनार पे सेमीनार और दुर्घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही और गाड़ियाँ बिक रहीं हैं , एलिवेटेड और सुपर एक्सप्रेसवे बनते जा रहे है , जहा सिर्फ पैदल चलने की व्यवस्था की जरूरत थी | और कुछ नहीं तो ट्रैफिक पुलिस को भ्रष्ट बता दो ताकी उन्ही पे सारी ज़िम्मेदारी पड़ जाये | अमरीका , स्वीडन , यूरोप या कहीं भी अगर दुर्घटनाओं में कमी आयी है तो उन्होंने ड्राईवर या चलने वाले व्यक्तियों पर से ध्यान हटा के रोड इंजीनियरिंग अथवा गाड़ी की स्पीड़ कम करने पर ध्यान दिया , नतीजा आपके सामने हैं , स्वीडन देश की आबादी पंजाब जितनी हैं लेकिन वहां पिछले साल केवल 263 लोग मरे और पंजाब में 5077 लोगों को सडक़ दुर्घटनाओं में अपनी जान गवानी पड़ी | हमारी बीमारी का वायरस स्पीड यानी गति हैं , और हम सोचते हैं की शहर के बीचो बीच चौड़ी सड़कें बना कर इस वायरस को मार देंगे | आप वायरस को मार नहीं रहे  आप और बढ़ा रहे हैं इस उम्मीद के साथ की लोग दुर्घटनाओं मैं कम मरेंगे | सरकारे भी एम्बुलेन्स दे कर ख़ुश होती है और कहती हैं की देखो सड़क सुरक्षा पर काम कर दिया , अरे भाई ज्यादा एम्बुलेंस का मतलब यह है की इंजीनियरिंग से लेकर एनफोर्समेंट तक किसी ने काम नहीं किया इस लिए एम्बुलेंस की जरूरत पड़ी | बाकि कुछ कमियाँ देश के कानून में हैं जो केवल व्यक्ति के दोष के ऊपर ही लगता हैं , सड़क के बीच अगर कोई पेड़ या खम्बा हैं तो उसके लिए IPC की कोई सीधी धारा नहीं जिससे दुर्घटना को होने से रोका जा सके | भारतीय ड्राईवर बाकी दुनियाँ से से काफी अच्छे हैं , जो ऐसी निर्दयी सड़कों पर भी गाड़ी चला लेते है | ड्राईवरो को कोसना बंद करके जिनकी ज़िम्मेवारी हैं उनको ज़िम्मेदार ठहराया जाये , सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा तभी कब होगा , तब तक कोसते रहिये भारतीय ड्राईवर और पुलिस को | 
जय  हिन्द 

नवदीप असीजा 

Unsafe streets: Mohali zeroes in on 21 accident-prone spots

Diljot Singh
Mohali:

The office of the traffic adviser (Punjab) has conducted a study on the reason behind accidents in Mohali and has identified 21 accident-prone spots.

The death zones are Phase 8 industrial area towards Radha Swami chowk, Phase 7 industrial area towards Spice Chowk, Phase 6 new bus stand towards Balongi barrier, Phase 35 light point, Landran and Saneta Road and SohanaLakhnaur Road.

The traffic advisor, Navdeep Asija, and his student Abhishek Bajaj conducted the study, which showed an increase in accidents. The number of pedestrians and cyclists killed in mishaps shot from 38% in 2013 to 56% in 2015, the study revealed.

As many as 16 accidents happened between 9pm and noon between 2013 and 2015.During midnight to 3 am, 12 people died between 2013 and 2015 in road mishaps, the study said.

The findings revealed that pedestrians and bicyclists were most vulnerable on Mohali roads. Over 50% percent of the victims were pedestrians and bicyclists.The traffic police records corroborate the findings.

Official data available with Asija revealed that 25 people were killed in 24 accidents in 2015 and out of these 25, eight were pedestrians and six of them were bicyclists. Similarly in 2014, out of 25 victims, five were pedestrians and seven were bicyclists. "Car drivers and truckers are the main culprits as they cruise at very high speeds thinking that these roads are racing tracks," said Asija.

Car and truck collisions contributed to 71% of the crashes in Mohali city in the last 3 years. Fifty-three percent of crashes were caused by reckless car drivers, mentioned the study.

Traffic from Balongi barrier to Phase 11-sector 66Phase 9 Industrial Area Intersection, this particular road corridor has caused 19 of 73 road accidents between 2013 and 2015.

"We have also identified the accident zones. Besides the study by the traffic adviser on various parameters also include the flow of traffic, rush hour or peak hours on the roads, length and breadth of the motorway, traffic junction presence, number of accidents on these roads, the presence of streetlights," said SSP KS Chahal.

The study lists some solutions like installation of speed-calming devices to slow down the speed of vehicles.The traffic adviser wants safe and efficient non-motorized transport infrastructure to be constructed in the city.

Another solution envisages that phasing and synchronization of traffic lights according to the volume of traffic. It also proposes timers to be installed at the intersections to avoid the signal jumping. There is also a demand to install global standard road markings and signages to guide pedestrians and motorists.